क्या भगवान शिव 'डर' गए थे शनि देव से? पुराणों का वो काला सच जो आपको हिला देगा!

 



ये वो कथा है जो आपकी आस्था को एक नए नज़रिए से देखने पर मजबूर कर देगी। हम सब जानते हैं कि भगवान शिव देवाधिदेव हैं, वे कालों के काल महाकाल हैं। उन पर भला किस ग्रह की दृष्टि पड़ सकती है?

लेकिन पुराणों के गर्भ में एक ऐसी कहानी छिपी है, जो इस मान्यता को चुनौती देती है।

नारद मुनि की 'अशुभ' भविष्यवाणी

कहानी शुरू होती है जब देवर्षि नारद 'नारायण-नारायण' जपते हुए भगवान शिव के पास कैलाश पहुँचे। पर इस बार उनके चेहरे पर चिंता थी। उन्होंने महादेव को प्रणाम किया और कहा, "हे प्रभु! शनि देव आपकी ओर आ रहे हैं। उनकी दृष्टि आप पर पड़ने वाली है।"

यह सुनकर शिवजी भी एक पल को रुके। उन्होंने कहा, "शनि मुझ पर दृष्टि डालेंगे? मैं ही महाकाल हूँ। मैं ऐसी जगह जाकर छिप जाऊँगा कि शनि देव मुझे 7.5 साल तक ढूँढ ही नहीं पाएँगे।"

महादेव का 'गुप्त' स्थान

यह कहकर भगवान शिव कैलाश से अंतर्धान हो गए। वे सीधे पवित्र गंगा नदी के पास गए और उसकी अथाह गहराइयों में उतर गए। वहीं, जल के भीतर, उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं और एक गहरी समाधि में लीन हो गए।

एक दिन नहीं, दो दिन नहीं... पूरे साढ़े सात साल बीत गए।

7.5 साल बाद: "मैं बच गया!"

जब साढ़े सात साल की अवधि पूरी हुई, तब भगवान शिव ने अपनी समाधि खोली और गंगा की जलधारा से बाहर आए। वे मन ही मन मुस्कुरा रहे थे कि उन्होंने शनि देव को 'चखमा' दे दिया।

वे सीधे शनि देव के पास पहुँचे और कहा, "देखो शनि! तुम्हारे 7.5 साल पूरे हो गए, और मैं ऐसी जगह छिपा रहा कि तुम मुझ पर अपनी दृष्टि डाल ही नहीं पाए।"

शनि देव का वो जवाब जिसने शिव को भी चौंका दिया

शनि देव ने महादेव को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बड़ी विनम्रता से मुस्कुराए।

उन्होंने कहा, "हे प्रभु! आप... जो त्रिलोक के स्वामी हैं, जो कैलाश पर आनंद में रहते हैं... आपको मेरे ही प्रकोप के कारण साढ़े सात साल तक अपना घर-संसार छोड़कर, एक अनजान जगह पर, ठंडे पानी के अंदर समाधि लगाकर बैठना पड़ा।"

शनि देव ने आगे कहा, "प्रभु, यही तो मेरी साढ़े साती का प्रकोप था!"

यह सुनकर शिव जी भी शनि देव की शक्तियों और उनके न्याय के प्रति सम्मान से भर गए। यह कथा हमें सिखाती है कि कर्म और न्याय के विधान (शनि) से स्वयं भगवान भी नहीं बच पाते, क्योंकि यह विधान भी उन्हीं की व्यवस्था का एक हिस्सा है।

लेकिन अंत में, सब कुछ शिव में ही समाहित है और शिव से ही उत्पन्न है।

Lord Shiv is ultimate truth.

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